कांग्रेस के ८३ वे अखिल भारतीय अधिवेशन-बुराड़ी के हीरो -राघवगढ़ नरेश ,राजा दिग्विजय सिंह जी को मालूम हो कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस की हालत बेहद शर्मनाक है। भारतीय लोकतंत्र और भारतीय गंगा जमुनी संस्कृति के लिए आपकी व्यक्तिगत प्रतिबद्धता में किसी को कोई संदेह नहीं किन्तु मैदान में सघर्ष नदारत है। सावेर [इंदौर] में सिंधिया केवल तुलसी सिलावट के होकर तरह गए ,तो निमाड़ में केवल अध्यक्ष अरुण यादव की व्यक्तिगत झांकी है। महाकौशल में कमलनाथ ने कुछ भी नहीं किया और उनके घर छिंदवाड़ा में भी अब भाजपा का परचम घर-घर फहराया जाने वाला है। इंदौर के छुटभैये कांग्रेसी अब भी कमलनाथ को चुका हुआ कारतूस मान ने को तैयार नहीं हैं। जब तक दिग्गी राजा नेतत्व में थे तब तक कांग्रेस का ओज काबिले तारीफ था। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव मनोनीत होने और राज्य सभा की कुर्सी हासिल करने के उपरान्त दिग्गी राजा मध्यप्रदेश में विपक्षी नेता का रोल ठीक से अदा नहीं कर पाये। वे कांग्रेस को एकजुट कर पाने में असमर्थ रहे। अपनी स्थापित जड़ों को सुरक्षित नहीं रख पाये। कांग्रेस की जड़ों में मठ्ठा डालने वालों पर लगाम भी नहीं लगा पाये। चूँकि मध्यप्रदेश में कांग्रेस बनाम भाजपा का सीधा मुकाबला है ,अतएव तीसरे मोर्चे की अथवा नए -पुराने 'गठबंधन ' की तैयारियाँ केवल कागजी और वैचारिक ही हैं। इन हालत में मध्यप्रदेश की बर्बादी को रोक पाना बिखरी हुई आवाम के लिए बहुत मुश्किल है। जन सरोकारों को लेकर संघर्ष तो बहुत हो रहे हैं किन्तु संघ प्रायोजित राष्ट्रवाद' और हिंदुत्ववाद को जानबूझकर विमर्श के केंद्र में रखा रहा है। दिग्विजय सिंह अकेले योद्धा हैं जो इस हमले का सामना कर रहे हैं किन्तु बाकी के कांग्रेसी महारथी साम्प्रदायिकता और फासिज्म के सवाल पर कुछ नहीं कह पाते। वे केवल राहुल जी और सोनियाजी की खुशामद में लगे रहते हैं।
भाजपा और संघ कि युति के समीकरण मध्यप्रदेश के संदर्भ में शेष भारत यहाँ तक कि गुजरात से भी अलहदा हैं। शिवराज सरकार ने पूंजीपतियों को पांच लाख एकड़ जमीन कोडी मोल उपलब्ध करा दी। किन्तु कांग्रेस कि प्रदेश इकाई या प्रदेश कि ज़िला इकाइयों ने इसका संज्ञान तक नहीं लिया। यदि यहाँ कांग्रेस सरकार होती और भाजपा विपक्ष में होती तो अभी तक प्रदेश भाजपा ने जमीन आसमान एक कर दिया होता। हाथ कंगन को आरसी क्या ? विगत १८ माह में भाजपा का हर क्षेत्र में स्खलन हुआ है। प्रदेश में संयुक्त वामपंथी श्रम संगठनों और बिखरी हुई छूट पुट लोकतान्त्रिक -वामपंथी -धर्मनिरपेक्ष शक्तियों ने जरूर जनांदोलन के रूप में लगातार शिवराज सरकार को घेरने की कोशिश की है। किन्तु इससे शिवराज जी की सेहत के लिए कोई खतरा नहीं। उन्हें खतरा केवल उन मोदी भक्तों से है जो प्रदेश सरकार और संगठन में होते हुए भी शिवराज के खिलाफ हैं और मोदी जी के परम भक्त हैं। किसान आत्म हत्या ,व्यापम भृष्टाचार ,खनन माफिया ,सिंहस्थ में संतों को व्यक्तिगत रूप से खुश करके तमाम असफलताओं और गड़बड़ियों पर पर्दा डाला जा रहा है।
सबको सब मालूम है किन्तु कोई कुछ नहीं बोलता। जो बोलता है उसे या तो खुशामदी तरीके से या फिर निरंकुश तरीके से निपटा दिया जाता है।
विगत जुलाई से नबम्बर २०१० तक छात्रों कि समस्याओं को अखिल भारतीय विद्द्यार्थी परिषद ने लगातार आक्रामक आंदोलनों के माध्यम से प्रदेश की भाजपा नीत शिवराज सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद की . प्रश्न ये है की एन एस यु आई क्या कर रही है ? कभी कभार छात्र संघ के पदाधिकारियों के नाम भले ही इस या उस विज्ञप्ति में देखने में आये हैं .किन्तु जब तक एन एस यु आई संघर्ष का प्रोग्राम बनता है ,विद्द्यार्थी परिषद् मैदान मार लेती है .
वामपंथी छात्र संघों की लड़ाकू क्षमता भी मध्य प्रदेश के सन्दर्भ में निराशा जनक है ,कई जगह पर तो शाखाएं भी नदारद हैं .जहाँ हैं वे संवैधानिक तौर तरीके से न्यूनाधिक भी नहीं चल पा रहीं हैं .केंद्र सरकार द्वारा प्रदत्त राशी से बनाये जा रहे सुपर कारीडोर ,जे एन यु प्रोजेक्ट के तहत निर्माणाधीन राष्ट्रीय राजमार्गों की दुर्दशा देखकर किसी भी बाह्य आगंतुक का मध्य प्रदेश में ह्रदय खिन्न होजाना स्वभाविक है किन्तु युवक कांग्रेस कहाँ है ?बड़ी कांग्रेस अर्थात पी सी सी कहाँ है ?
इधर भोपाल के समिधा भवन जाकर देखिये दिग्विजय सिंग जी इसे कहते हैं खांटी चाणक्य नीति.
अभी कल परसों २१-२२ दिसंबर २०१० को अभिनीत नाटक के नेपथ्य में वही हैं जिन्हें आप हिदुत्व कट्टरतावाद के नाम पर घेरने की असफल कोशिश कर रहे हैं .
जिन २ लाख किसानो ने पूरे ४८ घंटे तक भोपाल को बंधक बना रखा था ,वे सभी संघ के नेताओं की गुजारिश और सरकार की सहमती से ही आये थे .इस नूरा कुश्ती का वही परिणाम हुआ जिसकी आशंका थी ,अर्थात संघ के दरवार में दोनों आनुषांगिक -भाजपा सरकार और तथाकथित आन्दोलनकर्ता किसान संगथन को सुलह सफाई के बहाने रूबरू कराया गया और मीडिया जो की भाजपा का भोंपू बन चुका है -उसके मार्फ़त ढिंढोरा पिटवाया की लो भाजपा के लोगों ने किसानो की समस्या के लिए संघर्ष किया और सरकार {शिवराज सरकार ]ने किसानो को कितना सारा दे दिया ?माला माल कर दिया . सारांश यह है की मध्यप्रदेश में सत्ता में भाजपा और विपक्ष में संघ के अनुषंगी,अब दिग्गी राजा चाहें तो बटाला हाउस ,अजमेर ,मालेगांव .बलोस्ट,समझोता एक्सप्रेस या देवास केसुनील जोशी की तथाकथित निर्मम हत्या को शिवराज सरकार द्वारा रफा दफा करने के लिए कोसते रहेँ,कोई फर्क नहीं पड़ता.
भूंख .भय ,भुखमरी और भयानक गरीबी जहालत से जूझती मध्यप्रदेश की जनता को इस स्थिति में लाने का श्रेय भी दिग्गी राजा कुछ हद तक आपको ,कांग्रेश को भी तो है .अभी २० दिसम्बर को कांग्रेस के महा अधिवेशन में शहडोल जिले की आदिवासी महिला ने क्या कहा ?कांग्रेस ही कांग्रेस को हरवाती है इस कथन से कौन सहमत नहीं ?वास्तव में कुल जमाँ २३ प्रतिशत वोट पाकर भाजपा सत्ता में हैं और ३३ प्रतिशत वोट पाने वाली कांग्रेस सत्ता विहीन और शायद इसी भ्रम में कांग्रेस जी रही की वो तो सनातन से सत्ता में है और इसीलिए विपक्ष की भूमिका निर्वहन के लिए रंचमात्र तैयार नहीं .उधर भाजपा सत्ता में रहते हुए भी तीनो मोर्चों पर पूरी शिद्दत से सक्रिय है ,एक -वह स्वर्णिम मध्यप्रदेश का नारा देकर शानदार मार्केटिंग करके जनाधार बढ़ा रही है .दो -संघ से तालमेल कर हिंदुत्व को शान पर चढ़ा कर धार तेज कर रही है,तीन पानी -बिजली -की कमी -महगाई ,बेरोजगारी और भारी भृष्टाचार की तोहमतों से बचने के लिए स्वयम विपक्ष की भूमिका अदा कर भाजपा मध्य[प्रदेश में अगली बार भी सत्ता रूढ़ होने को है और दिग्गी राजा अकेले भाद फोड़ रहे हैं .उनका फासिज्म से कट्टरवाद से लड़ना सही है किन्तु उनकी सेना मध्यप्रदेश में कहाँ है ?उनसे ज्यादा तो वामपंथ और वसपा सक्रीय हैं . कांग्रेस यदि सचमुच धर्मं निरपेक्षता और प्रजातंत्र के लिए प्रतिबद्ध है तो उसे सिर्फ वयान वीर नहीं कर्मवीर तराशने होंगे ..
जब तक यह आलेख पाठकों तक पहुंचेगा तब तलक अगली कार्यवाही के रूप में भारतीय मजदूर संघ की मध्यप्रदेश इकाई द्वारा शिवराज सरकार को मजदूरों की समस्याओं से सम्बन्धित मांग पत्र प्रेषित कर दिया जावेगा ,हालाँकि वामपंथी ट्रेड यूनियनों द्वारा संगठित क्षेत्र और असंगठित क्षेत्र के मजदूरों की आवाज समय -समय पर सीटू द्वारा उठाई जाती है किन्तु मजदूरों को जो भी सहुलियेतें या उनके हित में सरकारी अंशदान होगा वो भारतीय मजदूर संघ के प्रतिनिधि मंडल से समझोते के आधार पर होगा .इसीलिए शीघ्र ही आर एस एस के निर्देश पर बी एम् एस भी वही करने जा रहा जो उनके बंधू बांधवों -वनवासी परिषद् ,किसान संघ ,विद्धार्थी परिषद् और विश्व हिन्दू परिषद् ने किया है
संघ के सभी अनुषंगी एक साथ बैठकर निर्णय करते हैं और फिर बारी-बारी से जनांदोलनो की नूरा कुश्ती करते हैं भगवतीचरण वर्मा की कहानी "दो बांके 'भोपाल ,इंदौर .जबलपुर .ग्वालियर .सागर में इफरात से सड़कों पर अभिनीत हो रही है .फर्क सिर्फ इतना है की एक बांका सत्ता में है तो दूसरा सत्ता का अनुषंगी .कांग्रेस तो इस समय पर्दा गिराने वाले की हैसियत में बिलकुल नहीं . साम्प्रदायिकता के खतरों को दिग्गी राजा समझ गए ये काफी नहीं -जनता भी ऐसा ही सोचे -समझे और करे तो कोई बात है अन्यथा आपकी ये मशक्कत किसी काम की नहीं .
श्रीराम तिवारी ....
भाजपा और संघ कि युति के समीकरण मध्यप्रदेश के संदर्भ में शेष भारत यहाँ तक कि गुजरात से भी अलहदा हैं। शिवराज सरकार ने पूंजीपतियों को पांच लाख एकड़ जमीन कोडी मोल उपलब्ध करा दी। किन्तु कांग्रेस कि प्रदेश इकाई या प्रदेश कि ज़िला इकाइयों ने इसका संज्ञान तक नहीं लिया। यदि यहाँ कांग्रेस सरकार होती और भाजपा विपक्ष में होती तो अभी तक प्रदेश भाजपा ने जमीन आसमान एक कर दिया होता। हाथ कंगन को आरसी क्या ? विगत १८ माह में भाजपा का हर क्षेत्र में स्खलन हुआ है। प्रदेश में संयुक्त वामपंथी श्रम संगठनों और बिखरी हुई छूट पुट लोकतान्त्रिक -वामपंथी -धर्मनिरपेक्ष शक्तियों ने जरूर जनांदोलन के रूप में लगातार शिवराज सरकार को घेरने की कोशिश की है। किन्तु इससे शिवराज जी की सेहत के लिए कोई खतरा नहीं। उन्हें खतरा केवल उन मोदी भक्तों से है जो प्रदेश सरकार और संगठन में होते हुए भी शिवराज के खिलाफ हैं और मोदी जी के परम भक्त हैं। किसान आत्म हत्या ,व्यापम भृष्टाचार ,खनन माफिया ,सिंहस्थ में संतों को व्यक्तिगत रूप से खुश करके तमाम असफलताओं और गड़बड़ियों पर पर्दा डाला जा रहा है।
सबको सब मालूम है किन्तु कोई कुछ नहीं बोलता। जो बोलता है उसे या तो खुशामदी तरीके से या फिर निरंकुश तरीके से निपटा दिया जाता है।
विगत जुलाई से नबम्बर २०१० तक छात्रों कि समस्याओं को अखिल भारतीय विद्द्यार्थी परिषद ने लगातार आक्रामक आंदोलनों के माध्यम से प्रदेश की भाजपा नीत शिवराज सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद की . प्रश्न ये है की एन एस यु आई क्या कर रही है ? कभी कभार छात्र संघ के पदाधिकारियों के नाम भले ही इस या उस विज्ञप्ति में देखने में आये हैं .किन्तु जब तक एन एस यु आई संघर्ष का प्रोग्राम बनता है ,विद्द्यार्थी परिषद् मैदान मार लेती है .
वामपंथी छात्र संघों की लड़ाकू क्षमता भी मध्य प्रदेश के सन्दर्भ में निराशा जनक है ,कई जगह पर तो शाखाएं भी नदारद हैं .जहाँ हैं वे संवैधानिक तौर तरीके से न्यूनाधिक भी नहीं चल पा रहीं हैं .केंद्र सरकार द्वारा प्रदत्त राशी से बनाये जा रहे सुपर कारीडोर ,जे एन यु प्रोजेक्ट के तहत निर्माणाधीन राष्ट्रीय राजमार्गों की दुर्दशा देखकर किसी भी बाह्य आगंतुक का मध्य प्रदेश में ह्रदय खिन्न होजाना स्वभाविक है किन्तु युवक कांग्रेस कहाँ है ?बड़ी कांग्रेस अर्थात पी सी सी कहाँ है ?
इधर भोपाल के समिधा भवन जाकर देखिये दिग्विजय सिंग जी इसे कहते हैं खांटी चाणक्य नीति.
अभी कल परसों २१-२२ दिसंबर २०१० को अभिनीत नाटक के नेपथ्य में वही हैं जिन्हें आप हिदुत्व कट्टरतावाद के नाम पर घेरने की असफल कोशिश कर रहे हैं .
जिन २ लाख किसानो ने पूरे ४८ घंटे तक भोपाल को बंधक बना रखा था ,वे सभी संघ के नेताओं की गुजारिश और सरकार की सहमती से ही आये थे .इस नूरा कुश्ती का वही परिणाम हुआ जिसकी आशंका थी ,अर्थात संघ के दरवार में दोनों आनुषांगिक -भाजपा सरकार और तथाकथित आन्दोलनकर्ता किसान संगथन को सुलह सफाई के बहाने रूबरू कराया गया और मीडिया जो की भाजपा का भोंपू बन चुका है -उसके मार्फ़त ढिंढोरा पिटवाया की लो भाजपा के लोगों ने किसानो की समस्या के लिए संघर्ष किया और सरकार {शिवराज सरकार ]ने किसानो को कितना सारा दे दिया ?माला माल कर दिया . सारांश यह है की मध्यप्रदेश में सत्ता में भाजपा और विपक्ष में संघ के अनुषंगी,अब दिग्गी राजा चाहें तो बटाला हाउस ,अजमेर ,मालेगांव .बलोस्ट,समझोता एक्सप्रेस या देवास केसुनील जोशी की तथाकथित निर्मम हत्या को शिवराज सरकार द्वारा रफा दफा करने के लिए कोसते रहेँ,कोई फर्क नहीं पड़ता.
भूंख .भय ,भुखमरी और भयानक गरीबी जहालत से जूझती मध्यप्रदेश की जनता को इस स्थिति में लाने का श्रेय भी दिग्गी राजा कुछ हद तक आपको ,कांग्रेश को भी तो है .अभी २० दिसम्बर को कांग्रेस के महा अधिवेशन में शहडोल जिले की आदिवासी महिला ने क्या कहा ?कांग्रेस ही कांग्रेस को हरवाती है इस कथन से कौन सहमत नहीं ?वास्तव में कुल जमाँ २३ प्रतिशत वोट पाकर भाजपा सत्ता में हैं और ३३ प्रतिशत वोट पाने वाली कांग्रेस सत्ता विहीन और शायद इसी भ्रम में कांग्रेस जी रही की वो तो सनातन से सत्ता में है और इसीलिए विपक्ष की भूमिका निर्वहन के लिए रंचमात्र तैयार नहीं .उधर भाजपा सत्ता में रहते हुए भी तीनो मोर्चों पर पूरी शिद्दत से सक्रिय है ,एक -वह स्वर्णिम मध्यप्रदेश का नारा देकर शानदार मार्केटिंग करके जनाधार बढ़ा रही है .दो -संघ से तालमेल कर हिंदुत्व को शान पर चढ़ा कर धार तेज कर रही है,तीन पानी -बिजली -की कमी -महगाई ,बेरोजगारी और भारी भृष्टाचार की तोहमतों से बचने के लिए स्वयम विपक्ष की भूमिका अदा कर भाजपा मध्य[प्रदेश में अगली बार भी सत्ता रूढ़ होने को है और दिग्गी राजा अकेले भाद फोड़ रहे हैं .उनका फासिज्म से कट्टरवाद से लड़ना सही है किन्तु उनकी सेना मध्यप्रदेश में कहाँ है ?उनसे ज्यादा तो वामपंथ और वसपा सक्रीय हैं . कांग्रेस यदि सचमुच धर्मं निरपेक्षता और प्रजातंत्र के लिए प्रतिबद्ध है तो उसे सिर्फ वयान वीर नहीं कर्मवीर तराशने होंगे ..
जब तक यह आलेख पाठकों तक पहुंचेगा तब तलक अगली कार्यवाही के रूप में भारतीय मजदूर संघ की मध्यप्रदेश इकाई द्वारा शिवराज सरकार को मजदूरों की समस्याओं से सम्बन्धित मांग पत्र प्रेषित कर दिया जावेगा ,हालाँकि वामपंथी ट्रेड यूनियनों द्वारा संगठित क्षेत्र और असंगठित क्षेत्र के मजदूरों की आवाज समय -समय पर सीटू द्वारा उठाई जाती है किन्तु मजदूरों को जो भी सहुलियेतें या उनके हित में सरकारी अंशदान होगा वो भारतीय मजदूर संघ के प्रतिनिधि मंडल से समझोते के आधार पर होगा .इसीलिए शीघ्र ही आर एस एस के निर्देश पर बी एम् एस भी वही करने जा रहा जो उनके बंधू बांधवों -वनवासी परिषद् ,किसान संघ ,विद्धार्थी परिषद् और विश्व हिन्दू परिषद् ने किया है
संघ के सभी अनुषंगी एक साथ बैठकर निर्णय करते हैं और फिर बारी-बारी से जनांदोलनो की नूरा कुश्ती करते हैं भगवतीचरण वर्मा की कहानी "दो बांके 'भोपाल ,इंदौर .जबलपुर .ग्वालियर .सागर में इफरात से सड़कों पर अभिनीत हो रही है .फर्क सिर्फ इतना है की एक बांका सत्ता में है तो दूसरा सत्ता का अनुषंगी .कांग्रेस तो इस समय पर्दा गिराने वाले की हैसियत में बिलकुल नहीं . साम्प्रदायिकता के खतरों को दिग्गी राजा समझ गए ये काफी नहीं -जनता भी ऐसा ही सोचे -समझे और करे तो कोई बात है अन्यथा आपकी ये मशक्कत किसी काम की नहीं .
श्रीराम तिवारी ....