परंपरानुसार वर्तमान बजट सत्र में भी महामहिम राष्ट्रपति का अभिभाषण सम्पन्न हुआ। राष्ट्रपतिजी ने सदन के दोनों सदनों को संयुक्त रूप से सेंट्रल हाल में संबोधित किया। उनके भाषण का सारतत्व वही है जो 'भाइयो- -बहिनों' के चहेते पीएम और वित्त मंत्री जेटली जी के जेहन में समाया हुआ है। कुल मिलाकर फिर वही आसमान से तारे तोड़ने वाला , 'फीलगुड' और शाइनिंग इंडिया वाला बजट आने वाला है।
किन्तु आज के अभिभाषण की प्रस्तुति निहायत ही नीरस और उबाऊ रही। महामहिम ने पानी पी-पीकर ,खाँस -खाँसकर,अटैक-अटकर जैसे -तैसे अद्भुत आंग्ल भाषा में अपना अभिभाषण पूरा किया। राष्ट्रपतिजी के अंग्रेजी अभिभाषण का हिंदी अनुवाद उपराष्ट्रपति हामिद अंसारीजीने प्रस्तुत किया। उन्होंने प्रारम्भ का एक पैरा और अंत का आधा पैरा ही पढ़ा। बाकी का सम्पूर्ण अभिभाषण स्वतः पढ़ा हुआ मान लिया गया। उपराष्ट्रपति के उच्चारण आलम यह था कि एक भी शब्द स्पष्ट सुनाई नहीं दिया।
बजट सत्र शुभारम्भ को देख-सुनकर अनुभूत हुआ कि भारतीय लोकतंत्र के उच्चतम पदों पर विराजित व्यक्तियों को यदि अंग्रेजी ज्ञान है तो बहुत अच्छा। किन्तु हिंदी का ज्ञान नहीं तो बंटाढार ! कहने को तो हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र हैं, किन्तु सर्वोच्च पदों पर ऐंसे लोगो को बिठा देते हैं जो पहली कक्षा की हिंदी भी ढंग से नहीं बोल पाते। अंग्रेजी का उच्चारण तो और भी तकलीफदेह रहा । महामहिम अंग्रेजी में पढ़ रहे थे तो ऐंसा लग रहा था मानों बाँग्ला में अभिभाषण पढ़ रहे हैं। अंत में जनाब उप महामहिम अंसारी जो हिंदी बोले उस सुनकर हम सिर धुनि-धुनि पछताए। अपने आपसे कहा - ''हिंदी तेरी अकथ कहानी, भाषण में नीरसता और नयनों में पानी !