मंगलवार, 31 जनवरी 2017

बजट सत्र शुभारम्भ


परंपरानुसार वर्तमान बजट सत्र में भी महामहिम राष्ट्रपति का अभिभाषण सम्पन्न हुआ। राष्ट्रपतिजी ने सदन के दोनों सदनों को संयुक्त रूप से सेंट्रल हाल में संबोधित किया। उनके भाषण का सारतत्व वही है जो 'भाइयो- -बहिनों' के चहेते पीएम और वित्त मंत्री जेटली जी के जेहन में समाया हुआ है। कुल मिलाकर फिर वही आसमान से तारे तोड़ने वाला , 'फीलगुड' और शाइनिंग इंडिया वाला बजट आने वाला है।

  किन्तु आज के अभिभाषण की प्रस्तुति निहायत ही नीरस और उबाऊ रही। महामहिम ने पानी पी-पीकर ,खाँस -खाँसकर,अटैक-अटकर जैसे -तैसे अद्भुत आंग्ल भाषा में अपना अभिभाषण पूरा किया। राष्ट्रपतिजी के अंग्रेजी अभिभाषण का हिंदी अनुवाद उपराष्ट्रपति हामिद अंसारीजीने प्रस्तुत किया। उन्होंने प्रारम्भ का एक पैरा और अंत का आधा पैरा ही पढ़ा।  बाकी का सम्पूर्ण अभिभाषण स्वतः पढ़ा हुआ मान लिया गया। उपराष्ट्रपति के उच्चारण आलम यह था कि एक भी शब्द स्पष्ट सुनाई नहीं  दिया।

बजट सत्र शुभारम्भ को देख-सुनकर अनुभूत हुआ कि भारतीय लोकतंत्र के उच्चतम पदों पर विराजित व्यक्तियों को यदि अंग्रेजी ज्ञान है तो बहुत अच्छा। किन्तु हिंदी का ज्ञान नहीं तो बंटाढार ! कहने को तो हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र हैं, किन्तु सर्वोच्च पदों पर ऐंसे लोगो को बिठा देते हैं जो पहली कक्षा की हिंदी भी ढंग से नहीं बोल पाते। अंग्रेजी का उच्चारण तो और भी तकलीफदेह  रहा । महामहिम अंग्रेजी में पढ़ रहे थे तो ऐंसा लग रहा था मानों बाँग्ला में अभिभाषण पढ़ रहे हैं। अंत में जनाब उप महामहिम अंसारी जो हिंदी बोले उस सुनकर हम सिर धुनि-धुनि पछताए। अपने आपसे कहा - ''हिंदी तेरी अकथ कहानी, भाषण में नीरसता और नयनों में पानी !

शुक्रवार, 27 जनवरी 2017

मानवता को किस से खतरा है ?


दक्षिण भारत से एक साथ दो विरोधी खबरें आ रहीं हैं। एक तरफ तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पन्नी सेल्वम ने विधान सभा में सप्रमाण वक्तब्य दिया है कि 'जल्लीकुट्टू' के समर्थकों की भीड़में कुछ 'अराजक'तत्व घुस आये थे जिनके पास लादेन के फोटो थे ! सोशल मीडिया पर जब प्रगतिशील -शांतिकामी लोगों ने जल्लीकुट्टू का विरोध किया था तब कुछ अहमक 'देशभक्तों' ने तमिल परम्परा और संस्कृति का वास्ता देकर जल्लीकुट्टू का समर्थन किया था। सवाल उठता है कि बेजुबान पशुओं को सताने वाली संस्था  'पेटा' यदि विदेशी विचारधारा है तो 'फासीवाद' और 'नाजीवाद' कौन सी वैदिक विचारधारा है ? मानवता को किस से खतरा है ? पेटा से ,'अहिंसा सिद्धान्त' से या लादेन वादियों से या जल्लीकुट्टूवादियों से ? जल्लीकुट्टू के अंधसमर्थकों ने जानवरोंकी हमदर्द संस्था 'पेटा'को विदेशी विचारधारा बताकर  उसे भारत छोड़ने की मांग की है। क्या पशुओं को सताना भारतीय परम्परा है ? यदि हाँ !तो जल्लीकुट्टू में लादेनवादियों का होना भी लाजिमी है! क्योंकि इन आतंकियों को तो हर प्राणी को सताने में मजा आता है। जल्लीकुट्टू समर्थक और लादेन समर्थक जब एक हैं तो देशभक्त वुद्धिजीवियों का दायित्व है कि केंद्र सरकार और तमिलनाडु सरकार की कारगुजारी का पर्दाफास करें !

 


कल तक जो मेघालय के राज्यपाल हुआ करते थे ,अब वे पदमुक्त होकर शीघ्र ही गोविंदाचार्य,सुरेश जोशी  , आसाराम,नित्यानन्द इत्यादि कामुक हिंदुत्ववादियों की सूचीको सुशोभित करने जा रहे हैं ! जय षणमुगनाथन !


'संघ' पृष्ठभूमि से तराशे गए व्यक्तियों का चाल चरित्र चेहरा यदि वी षणमुगनाथन जैसा है तो इसमें अप्रत्याशित क्या है? श्री कृष्ण की 'रासलीला' के बहाने आसाराम जैसे गुरु घंटालों ने संघियों को यही तो सिखाया है ! कहाँ हो बाबा रामदेव,? लोकपाल के प्यारे -अन्नाहजारे तुम कहाँ हो ?हे भारत भाग्य विधाता चरित्र निर्माता तुम कहाँ हो ?