'मैं' जो कह रहा हूँ वही सत्य है ,यह अभिमानी का लक्षण है ! जो सत्य होगा उसे 'मैं 'सहर्ष स्वीकार करूँगा ,यह ज्ञानी का लक्षण है ! दूसरों का अनिष्ट किये बिना ,किसी को हानि पहुंचाए बिना 'मैं' हमेशा न्याय का पक्षधर रहूँगा यह 'स्वाभिमानी'का लक्षण है ! महर्षि आर बी बाँके
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