दिल्ली हाई कोर्ट ने एल जी [उपराज्यपाल]को दिल्ली क्षेत्र की प्रभुसत्ता के लिए सर्वशक्तिमान बताया है,उससे पहले एक अन्य प्रकरण में दिल्ली पुलिस को भी दिल्ली सरकार के प्रति 'अनुत्तरदायी' बताया है। एक अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी आप' के मुख्यमंत्री केजरीवाल और उनकी सरकार को 'केंद्र सरकार 'के कर्मचारियों की जाँच नहीं करने का निर्देश दिया है. भृष्टाचार में लिप्त कर्मचारियों-अधिकारियों पर किसी भी तरह की दंडात्मक कार्यवाही से भी वंचित किया है। कहने का लुब्बो-लुआब ये है कि न्यायपालिका ने 'आप'की दिल्ली सरकार को 'शून्य' घोषित कर दिया है। 'आप ' नेता केजरीवाल जी कोई काम नहीं कर पाने के कारण घोर अशांत हैं।
दिल्ली 'राज्य' की संवैधानिक स्थिति तब भी यही थी ,जब शीला दीक्षित दिल्ली की मुख्य मंत्री थीं। उन्होंने भी दिल्ली राज्य को 'राज्य का पूर्ण दर्जा 'माँगा था ,किन्तु उन्होंने उस मांग को असफलता का बहाना नहीं बनाया। शीला जी ने १५ साल लगातार दिल्ली पर शासन किया और इतने काम किये हैं कि गिनना मुश्किल है और उन्होंने कभी किसी अदालत में अधिकार नहीं होने या एल जी के असहयोग का रोना भी नहीं रोया। दिल्ली पुलिस से जरुर वे परेशान रहीं ,किन्तु विकास कार्य रुकने नहीं दिए। इसलिए सुझाव है कि शीला दीक्षित से भी कुछ सीखो -अरविन्द केजरीवाल ! श्रीराम तिवारी
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